आजमगढ़ डॉक्टर के यहां मरीजों को नंबर लगाते हुए तो देखा होगा लेकिन जलेबी खाने के लिए कभी नंबर लगाते नहीं सुना होगा। एक ऐसा ही मामला आजमगढ़ में है जहाँ जलेबी खाने के लिए पहले नंबर लगाना पड़ता है। बिना नंबर लगाए यहां पर जलेबी खाने को नहीं मिलता आलम यह है कि इस जलेबी का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और नंबर लगाने के बाद बैठकर अपने नंबर का इंतजार करते हैं। और जलेबी खाते हैं।
आपको बता दे की आजमगढ़ शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर मंदूरी बाजार स्थित जलेबी की एक छोटी सी दुकान है जहां पर वह सुबह से शाम तक केवल जलेबी बेची जाती है। दुकान को चलाने वाले सुनील सेठ को पूरे क्षेत्र में लोग जलेबी बाबा के नाम से जानते हैं। क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी यह जलेबी बाबा के नाम से काफी मशहूर है। इनकी दुकान पर दिन भर ग्राहकों का जमावड़ा रहता है।
जलेबी बाबा ने बताया की वह पिछले 30 साल से यह दुकान चला रहे हैं। उनका मन पूजा पाठ एवं भक्ति साधना में अधिक रहता था इसलिए वह दुकान चलाने के अलावा पूजा पाठ एवं भक्ति का कार्य भी किया करते हैं। उनका कहना है कि भगवान ने जब दो हाथ और पैर दिए है। तो मेहनत करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। जलेबी बाबा ने बताया कि ये मेरा व्यवसाय बन चुका है और इससे वह अपना घर चलाते हैं। जलेबी बाबा के दो पुत्र भी है जो सोने के आभूषणों का काम करते हैं।